A sponge. Absorbs. All the water, and the soap. The grease and the dirt. Wring it out. And again. To make room for more.
You are browsing archives for
Category: Poetry?
eco-unfriendly mohabbat
pyaar mera non-biodegradable ishq tha par unka recyclable deforested se mann mein unse, khushiyo ki aayi thi biodiversity dheere-dheere bane the hum, ek doosre ki energy alternate wali duniya saari lagne lagi thi, jaise hai wo zero emission carbon footprint hi jaise, ho gaya ho sabka none par kaise ho sakta tha ye sustainable? emotional […]
मौसम
बरसते बादल दिन में और बरसातों वाली रात हैं सुकून के सिलसिले, जल्द आएंगी सूखी सर्द हवाएं, फिर इक बार अाहों को बहलाने, गर्मी की लू भी ले ही आयेंगी रंगारंग फूलों वाली गालियां जैसे होता है हर बार, ठीक वैसे ही जैसे तुझसे जुदाई का मौसम है बरक़रार सालोसाल।
प्यार स्वादानुसार
मेरी बातों में खुद को न खोज, ऐ दीवाने, कहीं हर लफ्ज़ में खुद को पा के परेशान तू न हो जाए। मुस्कुराता देखना चाहते तो हो मुझे तुम हर दम, पर क्या हो, अगर हर मुस्कान की वजह तुम हो जाओ। मेरे पीछे से, हर कदम पर मेरे सलामती हो चाहते, बस पलट के […]
वादा
लफ़्ज़ों-वाले वादे चलो छोड़े देतें हैं काहे अल्फ़ाज़ों का बोझ उठाए तुम और हम? नज़रें कर लेतीं हैं गिरते-उठते जो, दस्तखत कहीं लगते हैं ऐसे वादों को? उँगलियाँ तुम्हारी छूकर निकल गई जो मुझे उछाल गई एहसास, हज़ारों-करोड़ो से, आँखों को चूमना, आंसुओं को पीना, लबों के कोनो को तुम्हारे, मुस्कुराहटों में बदलना… ये सारे […]
Koshish
मिली हवाओं में उड़ने की सज़ा यारों, कि मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारों। ~ वसीम बरेलवी ~ ~ ~ हवाओं में उड़ने से रिश्ता जो कट गया यारों, रिश्ता वो नहीं, वहम है वो मन का, यारों। उड़ना चाहूँ, ज़मीन पर भी मैं रहना चाहूँ निभा न सके इतना, कच्चा रिश्ता मेरा […]
Heaven
The moon, she looks so close from here, maybe heaven is too. Deep in the seas, lies a piece of heaven, I know. Maybe like they say, heaven is where we are Only, we haven’t a clue.
सूखे आँसू
ख़त्म हुई बातें प्यारा भी न रहा ये सन्नाटा खूबसूरत थी वो तड़प अब है खरोचती ये बेक़रारी दे दी खुशियाँ हो गये शुरू ये ग़म बह गये सारे रह गयीं ख़ाली ये आँखें कौन सम्भाले सिवाय मेरे अब ये उदासी?
ये न ग…
चालला तू आपल्या मित्रान बरोबर, हसरे सगळे, मस्त मस्ती करत करत. हळूच मागे वळून, शोधलं मला, “ये न ग…” डोळे तुझे म्हणून गेले… मन माझा गेला थांबून, “यायचय मला” सांगून राहिला, अाग्रहाची गरज नाही तुझ्या डोळ्यांकडनं, पण विचारलं त्यांनी, हा विचारच किती… मी अाले ना अाले, फरक आता पडत नाही, तुझं विचारणच् जणु, सगळं काही…
मिल बाँट के …
आखरी टुकड़ा कॅडबरी का, पानी पूरी की एक प्लेट, वह गर्मी के दिनों में, पानी का आखरी घूँट, मिल के बांटना ही आधा-आधा, करता था उन लम्हों को पूरा| सुनूँ मैं अनचाहा गाना, क्यों कि तुझे वह रिझाये, तुम चलो दोस्तों के साथ, क्यों की दोस्त हैं वो मेरे, मिल के करें समझौता आधा-पौना और […]