यूँ पीठ कर दी मैने तुम्हारी तरफ,
क्यों पीठ कर दी मैने तुम्हारी तरफ?
जानती हूँ मैं, तुम ना सह पाओग
टपटपाते आँसू, ना देख पाओगे तुम
थरथराते होंठ,
यूँ पीठ कर दी मैने तुम्हारी तरफ…
पूछोगे तुम, हुआ क्या?
देंगे हम मुस्कान बनावटी.
सह ना पाओगे, दर्द अनछुपा.
यूँ पीठ कर दी मैने तुम्हारी तरफ…
ना देनी है तुम्हें परेशानी मेरी,
ना देखना है तुम्हें बेबस.
उलझना है खुद से मुझे सिरफ,
यूँ पीठ कर दी मैने तुम्हारी तरफ.
No Comments Yet