सर्द मुलायम सी है ये तन्हाई,

सिलवटें है सुलझ रही,

 

सहलाता था जैसे छूना तेरा,

माथे की शिकनों को हटाता हुआ,

 

नर्म सी थी तेरी आवाज़ भी गहरी,

हैं वैसी ही ख़ामोशियाँ ये सारी,

 

ठहरी सी तेरी नज़र इन कन्धों पर,

पिघलाता ग़म जो था लबों पर,

 

मुलायम था जैसे तेरा होना, बस होना,

मुलायम है वैसे ही अब तेरा खोना.